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Wednesday, March 29, 2023

चैनपुर की बेटी ने भारतीय टीम से खेल कर देश को दिलवाया स्वर्ण पदक

राहुल कुमार

  • विकलांगता को नहीं बनने दिया बाध्य, जुनून व मेहनत से भारतीय टीम में बनाई जगह

चैनपुर (गुमला) : पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता भारत-नेपाल में देश को स्वर्ण पदक दिलवाने वाली चैनपुर की बेटी दिव्यांग असुंता टोप्पो उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो मुश्किल परिस्थितियों में हार मान जाते हैं। खेल के प्रति प्यार और कुछ कर दिखाने का जुनून लेकर चलने वाली असुंता टोप्पो का चयन पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में भारतीय टीम में हुआ इस प्रतियोगिता में देश ने स्वर्ण पदक हासिल किया।

असुंता के भारतीय टीम में सिलेक्शन होने से उनके गांव प्रखंड वह पूरे जिला में खुशी की लहर है। असुंता का जीवन काफी संघर्षमय रहा है बचपन मे ही असुंता के सर से मां-बाप का साया उठ गया था। माता स्व.कटरीना टोप्पो व पिता स्व.जेवियर टोप्पो के मृत्यु के बाद काफी आर्थिक तंगी से झेलनी पड़ी। थोड़ी बहुत पुश्तैनी जमीन की आमदनी और विकलांग पेंशन से अपना गुजारा करने वाली असुंता ने जैसे-तैसे कर बीए तक की पढ़ाई की पर पैसे की कमी और बिना किसी सहारे के B.Ed करने के सपने को मन में ही मारना पड़ा। पर उसका खेल के प्रति बचपन से ही बहुत जुनून था।

इस जुनून को तो तब उड़ान मिली जब असुंता की मुलाकात उनके कोच मुकेश कंचन से हुई। मुकेश कंचन पैरा ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ झारखंड के व्यवस्थापक भी हैं। कोच मुकेश कंचन के साथ प्रत्येक सप्ताह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक रांची के मोराबादी स्टेडियम में अभ्यास करने के बाद असुंता घर पर भी अपना अभ्यास करती थी अपने इसी जुनून और मेहनत के सहारे पहले असुंता का चयन पैरा सेटिंग वॉलीबॉल टीम में हुआ। 2018 से 2019 तक राष्ट्रीय स्तर पैरा खेल में शामिल हुई तथा 2019 में प्रतिमा तिर्की की कप्तानी में झारखंड को कांस्य पदक हासिल करवाया। जिसके बाद उसे पैरा थ्रो बॉल खेलने का मौका मिला और दिसंबर 2022 में अनीता तिर्की की कप्तानी में पैरा थ्रोबॉल टीम को भी सिल्वर पदक हासिल करवाया।

असुंता के इसी प्रदर्शन की बदौलत 19 से 21 फरवरी 2023 को होने वाली भारत नेपाल पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में उनका चयन भारतीय टीम में हुआ। पर नेपाल जाने आने और मैचेस खर्चा 25 से 30 हजार होने के कारण असुंता को मदद के लिए सरकारी दरवाजा खटखटाना पड़ा लेकिन सभी अधिकारियों से गुहार लगाने पर भी कहीं से कोई उम्मीद नजर नहीं आई क्या संता ने अपने दोस्तों से पैसा उधार लेकर भारत के लिए खेलने नेपाल गई और अपने बेहतर प्रदर्शन से नीलिमा रॉय की कप्तानी में और सुनता क्लॉक को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के रूप में अपना योगदान दिया और इस प्रतियोगिता में भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया।

अस्मिता बताती है कि सरकार से कोई मदद ना मिलने से एक बार तो हंसना टूट सी गई मगर गुमला विधायक भूषण तिर्की में आर्थिक रूप से मेरी मदद की थी और जिला खेल अधिकारी कुमारी हेमलता से खेल किट दिला कर मेरे सहयोग की पर दोस्तों ने मेरा हौसला बढ़ाया और पैसे का भी मदद किया इसलिए वह यह मकाम हासिल कर पाई वह अपने आप को भाग्यशाली मानती है कि वह भारत के लिए खेल पाई।

गांव की बेटी ने पूरे देश में बढ़ाया मान : सुशील दीपक मिंज : इधर भारतीय टीम के पैरा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने पर जिला 20 सूत्री सदस्य सह बेन्दोरा पंचायत के मुखिया सुशील दीपक मिंज ने सभी खिलाड़ियों को बधाई दी है। साथ ही असुंता टोप्पो के संघर्ष व जुनून को याद करते हुए कहां कि असुंता मेरे गांव की बेटी है। बचपन से ही खेल के प्रति उसका जुनून ने आज उसे एक अच्छे मुकाम पर पहुंचाया है। अपनी मेहनत और काबिलियत पर भरोसा करने वाले हमेशा आगे बढ़ते हैं। उन्होंने बधाई देते हुए आशीर्वाद दिया है कि असुंता और आगे बढ़े गांव प्रखंड जिला के साथ-साथ पूरे देश का नाम रोशन करें।

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