झारखंड के चाईबासा स्थित एक सरकारी अस्पताल में कथित गंभीर घोर लापरवाही सामने आई है। एक 7 वर्षीय थैलेसीमिया रोगी बच्चे को उस अस्पताल के ब्लड बैंक से एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) संक्रमित रक्त चढ़ाने का आरोप लगाया गया है।
बच्चे के पिता ने शिकायत में बताया कि उनका बेटा थैलेसीमिया की गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और हर महीने नियमित रूप से रक्त चढ़वाता है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष नवंबर में उसी ब्लड बैंक के कर्मचारी द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया था और उन्होंने इसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज करवाई थी। अब आरोप है कि उसी ब्लड बैंक से 18 अक्टूबर को चढ़ाए गए रक्त की जांच में इस बच्चे को एचआईवी पॉजिटिव पाया गया। पिता-पत्नी की पूर्व जांच में दोनों एचआईवी-नेगेटिव बताए गए थे।
इस मामले में ब्लड बैंक के कर्मचारी ने कहा है कि रक्त की जांच एवं रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया पूरी की जाती है और “बिना जांच रक्त नहीं दिया जाता”। उन्होंने आरोपों को निराधार बताया है। वहीं स्थानीय जिप सदस्य ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और बच्चे के उचित उपचार की व्यवस्था सरकार से करने को कहा है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि अस्पताल एवं ब्लड बैंक की सुरक्षा व्यवस्था, परीक्षण प्रक्रियाएँ और निगरानी तंत्र कितने प्रभावी हैं। ऐसे मामलों में तुरंत स्वतंत्र जांच एवं दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसे भयावह रहने योग्य हादसों को रोका जा सके।


