बिहार विधानसभा चुनाव में, एनडीए की घटक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस बार 32 जिलों की 101 सीटों पर चुनाव मैदान में है। हालाँकि मजेदार बात यह है कि छह जिलों — मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास — में भाजपा का एक भी प्रत्याशी नहीं है।
उन जिलों में जहाँ भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा है, वहाँ उसके सहयोगी दल एनडीए के हिस्से के रूप में चुनावी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसके अलावा कुछ अन्य जिलों में भाजपा सिर्फ एक-एक सीट पर ही लड़ रही है — जैसे सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर, जमुई आदि।
उदाहरण के लिए, पश्चिम चंपारण जिले की कुल 12 सीटों में भाजपा ने 8 पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि पूर्वी चंपारण में 9 सीटों में से 7 पर भाजपा का प्रत्याशी है। पटना जिले में 14 में से 7 सीटें भाजपा के खाते में हैं। वहीं दरभंगा 6, मुजफ्फरपुर 5, भोजपुर 5 और मधुबनी 5 सीटों पर भाजपा मैदान में है।
पिछली बार 2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ाया था। इस बार 2025 में पांच जिलों में पहले भी भाजपा का प्रत्याशी नहीं था — उन जिलों में शिवहर, खगड़िया, शेखपुरा, जहानाबाद और मधेपुरा शामिल थे। इस बार अतिरिक्त रूप से रोहतास जिला भी शामिल हुआ है। उस जिले की कुछ सीटें भाजपा ने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी हैं।
यह स्थिति यह संकेत देती है कि भाजपा ने कुछ जिलों में खुद उम्मीदवार न उतारकर रणनीतिक भूमिका अपनायी है या साझेदारी-रूप से सहयोगियों को अधिक-अधिक हिस्सेदारी देने का फैसला किया है। इस रणनीति का प्रभाव आगामी चुनावी परिणामों पर किस प्रकार पड़ेगा, यह आगे देखने योग्य रहेगा।


