बिरसा भूमि लाइव
गुमला : झारखंड काउंसिल फॉर एडुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (JCERT) एवं झारखंड शिक्षा परियोजना की अगुवाई एवं सेंटर फॉर कैटालाइज़िंग चेंज (C3) के तकनीकी सहयोग से विद्यालय स्वास्थ्य एवं कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत ज़िले के 150 सरकारी विद्यालयों में स्वास्थ्य एवं आरोग्य दूतों के द्वारा “बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम, 2012” (POCSO Act) पर छात्र- छात्राओं के बीच जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्र- छात्राओं को उक्त अधिनियम के मुख्य प्रावधानों से अवगत कराना एवं विद्यालय के स्तर पर बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण को सुनिश्चित करना था।
सत्र के दौरान अधिनियम के तहत यौन अपराधों की विस्तृत परिभाषा के बारे में बताया गया। यह बताया गया कि बाल यौन शोषण सिर्फ बलात्कार ही नहीं अपितु बच्चों के किसी भी अंग को गलत तरीके से छूना, निजी अंगों पर टिप्पणी करना, गलत तस्वीर दिखाना, तथा अन्य वैसे सभी प्रकार के शारीरिक संपर्क जिससे बच्चे असहज महसूस करें। बाल यौन शोषण की श्रेणी में आते हैं। आरोग्य दूतों के द्वारा छात्र-छात्राओं को यह भी बताया गया कि बाल यौन शोषण से संबन्धित मामलों पर त्वरित कार्रवाई एवं केस के निष्पादन हेतु प्रत्येक ज़िले में सरकार के द्वारा विशेष POCSO कोर्ट की स्थापना की गयी है। छात्र- छात्राओं को बाल यौन शोषण की घटना को रिपोर्ट करने के प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि ऐसे घटनाओं की शिकायत करने में वे संकोच नहीं करें।
ज्ञातव्य हो कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो, भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत बच्चे यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं और इनमे से लगभग दो तिहाई बच्चे भय और संकोच के कारण अपने साथ हुए यौन शोषण की शिकायत नहीं करते हैं। सत्र के उपरांत छात्र-छात्राओं ने संकल्प लिया कि वे बाल यौन शोषण से संबंधित घटनाओं की शिकायत बिना किसी भय एवं घबराहट के साथ करेंगे।