गुड्डू साहू
- आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहने से बच्चों को नहीं मिल पा रहा है पोषण आहार
चैनपुर (गुमला) : चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के आदिम जनजाति बाहुल कतारी कोना गांव का आंगनबाड़ी केंद्र पिछले तीन महीना से बंद है। आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहने से केंद्र पर आकर बच्चे भटकते रहते हैं उनको पोषण आहार भी नहीं मिल पाता है। स्थानीय ग्रामीण बिफ़ै असुर सहित कई लोगो ने बताया कि लगभग 3 माह पूर्व आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका बसंती असुराइन ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया था। इसके बाद से कतारी कोना आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका की नियुक्ति नहीं की गई है और यह आंगनबाड़ी केंद्र बंद है।
आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहने से यहां के बच्चों को सही पोषण आहार भी नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों ने इसकी शिकायत मुखिया से लेकर विभाग के अधिकारियों तक की है इसके बावजूद आदिम जनजाति बहुल इस गांव में आंगनवाड़ी केंद्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए किसी भी सेविका की नियुक्ति नहीं किया गया। एक ओर सरकार विलुप्तप्राय आदिम जनजातियों के संरक्षण के लिए हर सुविधा मुहैया कराने का दावा करती है। आदिम जनजातियों को लाभ सिर्फ कागजों पर ही सीमित कर रहा है जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और देखने को मिलती है।
ग्रामीणों ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहने से बच्चों को काफी परेशानी हो रही है बच्चों को मिलने वाला पोषाहार भी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन सुचारु रूप से करने के लिए सेविका की नियुक्ति की जाए।
वहीं मालम पंचायत की मुखिया गुंजन मार्था केरकेट्टा ने कहा कि कतारी कोना गांव का आंगनबाड़ी केंद्र वहां की सेविका बसंती असुराइन के आत्महत्या करने के बाद पिछले तीन माह से बंद पड़ा है। इसे लेकर मैं विभाग से भी बात किया है उन्होंने कहा कि मैं विभाग से बात कर जल्द से जल्द सेविका की नियुक्ति कराने का प्रयास करूंगी ताकि आंगनबाड़ी केंद्र सुचारू रूप से चालू हो सके।
इस संबंध में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी चैनपुर बीडीओ यादव बैठा ने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही मैंने इस विभाग का चार्ज लिया है। कतारी कोना का आंगनबाड़ी केंद्र बंद है तो यह गलत है। मामले की जानकारी लेकर यथाशीघ्र आंगनबाड़ी केंद्र को चालू कराया जाएगा।