बिरसा भूमि लाइव
वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया शुक्रवार को कई विशेष संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं और शुभ परिणाम देते हैं। इन दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय होता है। अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी और दान-पुण्य के कार्य भी शुभ माने गए हैं। विशेषकर सोना खरीदना इस दिन सबसे ज्यादा शुभ होता है। इससे धन की प्राप्ति और दान का पुण्य अक्षय बना रहता है।
वैदिक ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस बार सौ साल बाद अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है। दरअसल अक्षय तृतीया पर चंद्रमा और देवगुरु बृहस्पति की युति होने से गजकेसरी योग का निर्माण होगा। ज्योतिष शास्त्र में गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ योग माना गया है। इस अलावा अक्षय तृतीया पर मालव्य योग, धन योग, रवि योग, उत्तम योग और शश योग को मिलाकर कुल पांच महा शुभ योग बनेगा।
अक्षय तृतीया का शुभ समय : इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार शुक्रवार, 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर आरंभ होगा। इस तृतीया तिथि का समापन 11 मई जोगी को सुबह 02 बजकर 50 मिनट पर होगी। उदिया तिथि के चलते अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी।
इसलिए खास है यह तिथि : अक्षय तृतीया तिथि पर ही भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया पर महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी। अक्षय तृतीया के दिन ही उत्तराखंड में स्थिति बद्रीनाथ और केदारनाथ के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया पर गृह प्रवेश, विद्यारंभ, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ, नया कारोबार, जमीन, विवाह और वाहन आदि की खरीदारी करना शुभ होता है। अक्षय तृतीया पर गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। अक्षय तृतीया पर पूजा और दान करने पर अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी से बने आभूषणों को खरीदने की परंपरा होती है।
अक्षय तृतीया का महत्व को जानें : ऐसी मान्यताएं हैं कि अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी की चीजें खरीदने से जातक का भाग्योदय होता है। इसके अलावा, पवित्र नदियों में स्नान, दान, ब्राह्मण भोज, श्राद्ध कर्म, यज्ञ और ईश्वर की उपासना जैसे उत्तम कार्य इस तिथि पर अक्षय फलदायी माने गए हैं। धार्मिक मान्यता अनुसार, इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य आसानी से संपन्न हो जाता है। इस दिन आप शुभ मुहूर्त देखे बिना कोई भी कार्य संपन्न कर सकते हैं।
महालक्ष्मी-विष्णु की होगी पूजा-अर्चना : ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि अक्षय पुण्य की कामना के साथ श्रद्धालु महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की विधि अनुसार पूजा करने से व्यक्ति को धन की कमी नहीं होती है। रुके हुए कार्यों को भी गति मिलती है। इस दिन भगवान गणेश और कुबेर की पूजा करना शुभकारी होता है। इस दिन सोना और चांदी की खरीदारी करना शुभ होता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं है। गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान का शुभारंभ सहित अन्य मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया को कई वजहों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी। भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था। भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया पर हुआ था। इस शुभ तिथि से ही भगवान गणेश ने महाभारत का काव्य लिखना शुरू किया था। इतना ही नहीं, अक्षय तृतीया से ही बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं और केवल इसी दिन वृन्दावन में भगवान बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं। वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अखा तीज के रूप में भी मनाया जाता है। कुछ लोग इसे अक्षय तीज भी कहते हैं।