झारखंड सरकार ने सतर्कता बरतते हुए पारा (सहायक) शिक्षक वर्ग में प्रमाणपत्र जाँच अभियान तेज कर दिया है। जिन शिक्षकों के न्यूनतम अर्हता प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस कार्रवाई से लगभग एक हज़ार शिक्षकों की नौकरी खतरें में आ सकती है।
राज्य शिक्षा परियोजना परिषद (JEPC) ने निर्देश जारी किया है कि सभी जिलों में ऐसे पारा शिक्षकों की सघन जाँच की जाए। जिन शिक्षकों ने मात्र न्यूनतम अर्हता दर्ज की हो — यानी उन्होंने शिक्षा विभाग द्वारा तय न्यूनतम शैक्षिक मानदंड (जैसे मैट्रिक, इंटरमीडिएट, प्रशिक्षण आदि) पूरा किया हो — उन पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन जिनके प्रमाणपत्रों में विसंगति या फर्जीपन पाए जाएंगे, वे दायरे में आएंगे।
जांच में यह भी पाया गया है कि
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प्रथम से पाँचवीं तक के पारा शिक्षकों के मामले में, केवल मैट्रिक, इंटरमीडिएट व प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों की जाँच होनी थी, लेकिन उन्हीं मामलों में स्नातक प्रमाणपत्रों की भी समीक्षा की गई।
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छठी से आठवीं तक के शिक्षकों की जाँच में मैट्रिक, इंटरमीडिएट, स्नातक व प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों की जांच तय थी, परन्तु यहां तक कि पोस्टग्रेजुएट प्रमाणपत्रों की भी जाँच की गई।
यदि किसी शिक्षक का प्रमाणपत्र एक मान्यता प्राप्त संस्थान से न हो या प्रमाणपत्र संदिग्ध पाया जाए, तो उस शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इस कार्रवाई की जानकारी JEPC को समय-समय पर दी जाए।
इस निर्णय से शिक्षा विभाग यह संदेश देना चाहता है कि प्रमाणपत्रों की सत्यता किसी को बख्शेगी नहीं और योग्य शिक्षक ही शिक्षा व्यवस्था में टिक पाएँगे।