बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने गांधी जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार और “डबल इंजन” सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर के उसी विशेष दिन हमने बिहार में जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी कर देश को संदेश दिया कि अब पूरे देश में जातिगत जनगणना होनी चाहिए।
तेजस्वी ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस वर्षों से जातिगत जनगणना पर सवाल उठाते रहे, लेकिन हमारे संघर्ष ने उन्हें झुकने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि आरक्षण की प्रतिशत सीमाएँ लागू करके दलित, पिछड़े और आदिवासी वर्गों का अधिकार चुकाया गया है।
उनका कहना है कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक आबादी के अनुपात में भागीदारी सुनिश्चित न हो जाए। तेजस्वी ने यह भी कहा कि भाजपा का रवैया आरक्षण विरोधी है और इसके कारण ये वर्गों लाखों नौकरियों से वंचित हो रहे हैं।
तेजस्वी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि यदि वास्तव में जातिगत जनगणना करना है, तो इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए और इसका परिणाम नीति-निर्धारण में प्रमुख भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि इस कदम को सिर्फ घोषणा न माना जाए, बल्कि आराजनौत्क परिणाम मिलने चाहिए।
वे यह भी तर्क देते हैं कि हमारा संघर्ष बिहार की जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट की पृष्ठभूमि से प्रेरित है, जिसे 2 अक्टूबर 2023 को जारी किया गया था। उस रिपोर्ट को हमने गांधी जयंती के अवसर से जोड़ कर जनता को यह संदेश दिया कि सामाजिक न्याय की लड़ाई जारी है।
बीते दिनों तेजस्वी ने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना करना इसलिए स्वीकार किया है क्योंकि व्यापक सामाजिक और राजनीतिक दबाव बन चुका था। उन्होंने शुरूआत को बुलवाँ कर इसे मजबूरी बताया है।
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब जातिगत गणना (caste census) को आगामी जनगणना में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा लिया गया है।