पटना — बिहार की राजनीति में एक और सियासी हलचल उत्पन्न हो गई है। भोजपुरी स्टार और गायक पवन सिंह ने एक ही दिन में तीन महत्वपूर्ण मुलाकातें की हैं, जिनमें सबसे चर्चित है उनकी अमित शाह और जेपी नड्डा से हुई मुलाकात। इस दौरे के बाद यह अनुमान तेज हो गया है कि पवन सिंह की भाजपा में “घर वापसी” लगभग पक्की हो सकती है।
सबसे पहले पवन सिंह मिले आरएलएम (राष्ट्रीय लोक मोर्चा) के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा से। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की। इसके बाद वे भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से भी मिले। इस तरह की लगातार तीन मुलाकातों को राजनीतिक गलियारों में भाजपा वापसी की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
मुलाकातों के दौरान पवन सिंह ने मीडिया से यह टिप्पणी की कि वे और भाजपा कभी अलग हुए नहीं — वे “हमेशा साथ” हैं। उनकी इस टिप्पणी से यह साफ संकेत मिला कि भाजपा में लौटने की प्रक्रिया श्रद्धा पूर्वक आगे बढ़ रही है।
विश्लेषकों की राय है कि भाजपा इस कदम के ज़रिए शाहाबाद क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाह रही है। 2024 के लोकसभा चुनावों में पवन सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर भाजपा दशा को कुछ हद तक प्रभावित किया था। इस कारण भाजपा को कुछ लोकसभा-क्षेत्रों में नुकसान भी झेलना पड़ा था।
यदि पवन सिंह भाजपा में शामिल होते हैं, तो यह 2025 की बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए एक रणनीतिक बढ़त हो सकती है, विशेषकर उन सीटों पर जहां उनका जनाधार मजबूत है। लेकिन इस पूरे प्रस्ताव की पुष्टि अभी भाजपा नेतृत्व को करनी है—पवन सिंह की वापसी अभी औपचारिक नहीं हुई है।
इस बीच भाजपा और जुड़े दलों के लिए यह भी चुनौती होगी कि पवन सिंह की वापसी से अन्य नेताओं और मतदाताओं में संतुलन कैसे बनाए रखें। आगामी दिनों में भाजपा की शीर्ष बैठकें और रणनीति निश्चित रूप से इस दिशा में स्पष्ट संकेत देंगी।